12 जून 2025, ये तारीख अब भारत के लिए सिर्फ एक साधारण दिन नहीं रही — बल्कि एक ऐसा दिन बन गई जिसने सैकड़ों परिवारों की खुशियां छीन लीं। गुजरात के अहमदाबाद शहर में एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 टेकऑफ़ के चंद मिनटों बाद ही एक रिहायशी इलाके में गिर गई। ये विमान अहमदाबाद से लंदन जा रहा था, लेकिन किसी को नहीं पता था कि इसमें सवार कई लोग अपनी ज़िंदगी की आखिरी उड़ान भर रहे हैं।

इस भयानक हादसे में 242 में से 204 लोग मौके पर ही मारे गए, जबकि कई लोग ज़मीन पर भी घायल हो गए। चश्मदीदों के मुताबिक, “एक ज़ोरदार धमाका हुआ, और फिर चारों ओर आग और धुंआ ही धुंआ था।” कुछ लोगों ने अपनी आंखों के सामने अपने घर और अपने अपनों को खोते देखा। वो मंज़र सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक जिंदा दुःस्वप्न था।
अब सवाल उठता है — ऐसा क्यों हुआ? विमान का मॉडल था Boeing 787 Dreamliner, जिसे दुनिया के सबसे सुरक्षित विमानों में गिना जाता है। तो फिर क्या तकनीकी खराबी थी? या पायलट से कोई चूक हुई? या कोई और वजह?

इस हादसे के बाद देश और विदेश की सरकारों ने दुख जताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवेदना व्यक्त की है और राहत की घोषणा की है। यूके और यूएस की सरकारों ने भी इस दुख को साझा किया है क्योंकि इस विमान में उनके नागरिक भी मौजूद थे। लेकिन सवाल सिर्फ संवेदना का नहीं है — सवाल है कि क्या अब भारत को अपने एविएशन सिस्टम को और मज़बूत करना चाहिए या नहीं।
आज जब हम रोज़ हवाई यात्रा कर रहे हैं, तो यह जरूरी हो गया है कि हर फ्लाइट से पहले सुरक्षा जांच पुख्ता हो, पायलट और टेक्निकल टीम की ट्रेनिंग और भी बेहतर हो, और छोटे एयरपोर्ट्स को भी हाई लेवल ऑडिट मिले। क्योंकि जानें अनमोल होती हैं — और एक भी जान का जाना पूरी मानवता की हार है।

आज इस हादसे को हम एक खबर की तरह नहीं, बल्कि एक चेतावनी की तरह देखें। ताकि कल को कोई और परिवार इस तरह न उजड़े। जब भी हम अगली बार फ्लाइट लें — हम बस इतना चाहें कि वो उड़ान हमें सिर्फ मंज़िल तक ही नहीं, सुरक्षित मंज़िल तक पहुंचाए।
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